हँसी
होठों की ये हँसी भी क्या हसीन चीज़ है,
ज़िन्दगी की जरूरत कहते हैं इसको,
ये हर दिल अज़ीज़ है।
आतीहै चुपके से नई दुल्हन हो जैसे,
जवानी इसकी खुशबू बिखेरती नन्ही कली हो जैसे,
होठों की महबूबा कहते हैं इसको,
ये हर दिल अज़ीज़ है।
आ जाये एक बार लबों पे तो ये जहाँ अपना है,
बगैर इसके दोस्ती का ख्याल एक सपना है,
खुश्मिज़ाज़ो की मिल्कियत होती है ये,
ये हर दिल अज़ीज़ है।
हसीनाओं के क़ातिल हुस्न का पहलू है खास ये,
साथ उनके क्या- क्या तेवर दिखाती है ये,
अदाओं की मल्लिका कहते हैं इसको,
ये हर दिल अज़ीज़ है।
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