Monday, September 14, 2020

मुझे गर्व है मैं हिन्दी भाषी हूँ

 


क्या हिंदी हमारी मातृभाषा है?

या आजकल ये मात्र एक भाषा है।

शुद्ध हिंदी तो अब लुप्तप्राय है,

अब तो हिंग्लिश से सबको अभिप्राय है।

अंग्रेजी जानने वालों की गिनती बुद्धिजीवियों में होती है,

सिर्फ हिंदी जो जाने उनकी गिनती बेचारों में होती है।

स्मार्टनेस का दूसरा नाम अंग्रेजी क्यों है,

पिछड़ जाने का मापदंड हिंदी क्यों है।

बाबू-गिरी का ठप्पा लगता अंग्रेजी से क्यों है,

अनपढों की कतार में आज खड़ी हिंदी क्यों है।

नन्हे मासूमों को अंग्रेजी सिखाने की लग पड़ी है होड़,

हिंदी को हराने की ये कैसी शुरू हुई है दौड़?

टूटी फूटी अंग्रेजी में भी सम्मान भरी नजर क्यो है?

बोल दो, दो शब्द हिंदी के अगर प्रश्न उठाती निगाहें क्यो हैं?

आप जैसे सम्मान जनक शब्द हैं बस हिंदी में,

वरना तो छोटे बड़े सभी हैं you अंग्रेजी में।

Uncle aunty में सिमटे रहते सारे रिश्ते अंग्रेजी में,

ताऊ -ताई, चाचा-चाची,मामा- मामी होते हैं सिर्फ हिंदी में।

बात दिल को कहाँ छूती है अंग्रेजी में,

अपनेपन की सोंधी खुशबू तो है अपनी हिंदी में।

चंद वर्षों का आविष्कार ही है ये विदेशी अंग्रेजी,

वर्षों पुरानी देवनागरी का रूपांतरण है हमारी हिंदी।

अंग्रेजी बोलें, सीखें और अपनाएं भी जरूर,

पर मातृभाषा हिंदी पर अब तो करना है गुरुर।

हिंदी है हम सब में, है हमारी पहचान,

हम सबकी जान है ये, भारत की शान।


2 comments:

  1. Beautiful writing. Sorry commenting in English. Not very habituated to type in Hindi on mobile. I am also proud of my mother tongue and don't feel inferior while talking in Hindi.

    ReplyDelete
  2. Wah Neelam एकदम सही लिखा तुमने ,हम सबको शान से अपनाना चाहिए हिंदी को अपनी जिंदगी में ,शानदार प्रस्तुति

    ReplyDelete

  क्यों बदली सी लगती है दुनिया बहारों के ऑंगन में खेलती एक नन्ही गुड़िया, जमाने के ग़मों से बेख़बर, कितनी थी खूबसूरत उसकी छोटी सी दुनिया। आज जह...